PM Shri Yojana : “पीएम श्री योजना” (प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया) भारत सरकार की एक ऐसी पहल है जो देश की शिक्षा व्यवस्था को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का वादा करती है। इसकी शुरुआत 5 सितंबर 2022 को शिक्षक दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के सपनों को साकार करने का एक प्रयास है, जिसके तहत देश भर में 14,500 से अधिक स्कूलों को आधुनिक सुविधाओं और बेहतर शिक्षण पद्धतियों से जोड़ा जाएगा। ( PM Shri Yojana ) यह लेख इस योजना की गहराई में जाएगा और इसके उद्देश्यों, कार्यप्रणाली, लाभों, चुनौतियों, प्रगति, और भविष्य के संभावित प्रभावों को विस्तार से समझाएगा।
PM Shri Yojana : पीएम श्री योजना क्या है पूरी जानकारी
PM Shri Yojana : पीएम श्री योजना का अर्थ है “प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया”। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे शिक्षा मंत्रालय के तहत लागू किया जा रहा है। ( PM Shri Yojana ) इसका लक्ष्य स्कूलों को ऐसे शिक्षण केंद्रों में बदलना है जो न केवल ज्ञान प्रदान करें, बल्कि छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार भी करें। इसके लिए स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल संसाधन, विज्ञान और तकनीकी प्रयोगशालाएँ, खेल के मैदान, और अन्य जरूरी सुविधाएँ विकसित की जाएँगी।
PM Shri Yojana : योजना 2022-23 से 2026-27 तक पाँच साल की अवधि के लिए लागू है। इसके लिए 27,360 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है, जिसमें केंद्र सरकार 60% (18,128 करोड़ रुपये) और राज्य सरकारें 40% (9,232 करोड़ रुपये) हिस्सा देंगी। यह एक सहयोगी मॉडल है, जो केंद्र और राज्यों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देता है। योजना का ध्यान शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों पर है, ताकि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अधिकार मिले।

PM Shri Yojana पीएम श्री योजना के पीछे का लक्ष्य
- NEP 2020 को धरातल पर लाना: यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उस सपने को पूरा करने की दिशा में एक कदम है, जो शिक्षा को समग्र, तकनीक-संचालित, और सभी के लिए सुलभ बनाने की बात करती है।
- स्कूलों को आधुनिक बनाना: पुराने ढांचे को बदलकर स्कूलों में डिजिटल बोर्ड, इंटरनेट सुविधा, और प्रयोगशालाएँ स्थापित करना इस योजना का हिस्सा है। इससे छात्रों को नई तकनीकों से जोड़ा जा सकेगा।
- शिक्षा में समानता: यह योजना यह सुनिश्चित करना चाहती है कि गाँव का बच्चा हो या शहर का, लड़का हो या लड़की, सभी को एक जैसी शिक्षा मिले। यह क्षेत्रीय और सामाजिक अंतर को कम करने की कोशिश है।
- भविष्य के कौशल: आज की दुनिया में सफल होने के लिए सोचने की क्षमता, टीमवर्क, और नवाचार जैसे गुण जरूरी हैं। यह योजना इन गुणों को छात्रों में विकसित करना चाहती है।
- प्रेरक स्कूल: पीएम श्री स्कूल अपने इलाके के अन्य स्कूलों के लिए एक उदाहरण बनेंगे और उन्हें बेहतर करने के लिए प्रेरित करेंगे।
पीएम श्री योजना को लागू करने का तरीका
- स्कूल चुनने की प्रक्रिया: देश भर से 14,500 स्कूलों को तीन चरणों में चुना जाएगा। हर ब्लॉक से दो स्कूल (एक प्राथमिक और एक माध्यमिक या उच्चतर) लिए जाएँगे। यह चयन उनकी मौजूदा स्थिति और सुधार की संभावना को देखकर होगा।
- निगरानी और मूल्यांकन: चुने गए स्कूलों को जियो-टैग किया जाएगा ताकि उनकी प्रगति पर नज़र रखी जा सके। एक खास मूल्यांकन प्रणाली (SQAF) से यह देखा जाएगा कि वे तय मानकों पर खरे उतर रहे हैं या नहीं।
- सुविधाओं का निर्माण: स्कूलों में नई तकनीक और बुनियादी ढांचा लाया जाएगा। इसमें स्मार्ट क्लासरूम से लेकर खेल का मैदान तक शामिल है।
- शिक्षण में बदलाव: यहाँ पढ़ाई को किताबों से बाहर निकालकर अनुभव और सवाल-जवाब पर आधारित बनाया जाएगा। स्थानीय भाषाओं को भी बढ़ावा मिलेगा।
- सहमति पत्र: योजना को लागू करने के लिए केंद्र और राज्यों ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। अब तक 33 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इसमें शामिल हो चुके हैं।
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पीएम श्री योजना से होने वाले लाभ
- बेहतर शिक्षा: नई सुविधाओं और तरीकों से पढ़ाई का स्तर ऊँचा होगा, जिससे छात्रों का प्रदर्शन बेहतर होगा।
- संपूर्ण विकास: यह योजना सिर्फ़ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि खेल, कला, और व्यक्तित्व विकास पर भी ध्यान देगी।
- गाँवों तक पहुँच: दूरदराज के इलाकों में भी अच्छे स्कूल बनने से वहाँ के बच्चों को मौके मिलेंगे।
- नौकरियाँ: स्कूलों के लिए शिक्षक, कर्मचारी, और तकनीकी लोग चाहिए होंगे, जिससे रोजगार बढ़ेगा।
- प्रेरणा का स्रोत: ये स्कूल अपने आसपास के स्कूलों को प्रेरित करेंगे और शिक्षा का स्तर ऊँचा करने में मदद करेंगे।
पीएम श्री योजना में अभी तक किया गया कार्य
PM Shri Yojana : मार्च 2025 तक, पीएम श्री योजना ने अच्छी शुरुआत की है। चार चरणों में 12,079 स्कूलों को चुना जा चुका है। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 1,865 स्कूल हैं, जबकि महाराष्ट्र में 910 और आंध्र प्रदेश में 900 स्कूल चुने गए हैं। एक ऑनलाइन डैशबोर्ड पर 10,077 स्कूलों की जानकारी है, जिसमें 839 केंद्रीय विद्यालय और 599 नवोदय विद्यालय शामिल हैं।
PM Shri Yojana : पहले चरण में 6,207 स्कूलों के लिए 630 करोड़ रुपये से ज्यादा जारी किए गए हैं। कई जगह स्मार्ट क्लासरूम और प्रयोगशालाएँ बनना शुरू हो गई हैं, और कुछ स्कूलों में ये काम कर भी रही हैं।
पीएम श्री योजना में सामने आई चुनौतियाँ
- पैसे को लेकर असहमति: कुछ राज्य 60:40 के फंडिंग मॉडल से खुश नहीं हैं। पंजाब, दिल्ली, तमिलनाडु जैसे राज्य इससे बाहर हैं, जिससे उनके फंड पर असर पड़ा है।
- काम की धीमी रफ्तार: कुछ जगहों पर स्कूल चुनने और सुविधाएँ बनाने में देरी हो रही है।
- शिक्षकों की जरूरत: नई पढ़ाई के लिए ट्रेंड शिक्षक चाहिए, लेकिन कई स्कूलों में इनकी कमी है।
- गाँवों में दिक्कत: बिजली और इंटरनेट की कमी से ग्रामीण स्कूलों में तकनीक का इस्तेमाल मुश्किल हो रहा है।
- राजनीति का असर: केंद्र और राज्यों के बीच राजनीतिक मतभेद योजना को प्रभावित कर रहे हैं।
पीएम श्री योजना में भविष्य की संभावनाएँ क्या है
- वैश्विक पहचान: भारत के छात्र दुनिया में अपनी छाप छोड़ सकेंगे।
- देश का विकास: पढ़े-लिखे युवा अर्थव्यवस्था और समाज को मजबूत करेंगे।
- समानता: गाँव और शहर के बच्चों में फर्क कम होगा।
- नए विचार: प्रयोगशालाएँ और डिजिटल संसाधन बच्चों में नई सोच पैदा करेंगे।
निष्कर्ष
पीएम श्री योजना ( PM Shri Yojana ) एक ऐसा कदम है जो शिक्षा को नया रूप दे सकता है। यह स्कूलों को बेहतर बनाएगी और बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करेगी। इसके लिए केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करना होगा। अगर यह सपना सच हुआ, तो यह भारत को शिक्षा का नया चेहरा देगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मज़बूत आधार तैयार करेगा।
FAQ
पीएम श्री योजना में स्मार्ट क्लासरूम का क्या महत्व है?
स्मार्ट क्लासरूम आधुनिक शिक्षा के लिए जरूरी हैं। डिजिटल बोर्ड और इंटरनेट से पढ़ाई रोचक बनती है। यह 14,500 स्कूलों में लागू हो रही है, जिससे छात्रों में सोचने और सीखने की क्षमता बढ़ती है।
डिजिटल लाइब्रेरी छात्रों को कैसे लाभ पहुँचाती है?
डिजिटल लाइब्रेरी ई-बुक्स और ऑनलाइन संसाधन देती है। यह ग्रामीण बच्चों को भी बेहतर अवसर देती है। 14,500 स्कूलों में यह सुविधा शिक्षा को समान और व्यापक बनाती है।
प्रयोगशालाओं का विकास क्यों जरूरी है?
प्रयोगशालाएँ प्रैक्टिकल सीखने के लिए जरूरी हैं। आधुनिक उपकरणों से जिज्ञासा और नवाचार बढ़ता है। 14,500 स्कूलों में यह सुविधा छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करती है।